द्वारका में घूमने के लिए 12 शीर्ष स्थानों की सूची हिंदी में – Top 12 Places to Visit in Dwarka in Hindi

गुजरात में सौराष्ट्र द्वीप के पश्चिमी सिरे पर स्थित द्वारका को भगवान कृष्ण के राज्य की राजधानी माना जाता है।

द्वारका एकमात्र ऐसा शहर होने का दावा करता है जो हिंदू धर्म में वर्णित चार धाम (चार प्रमुख पवित्र स्थान) और सप्त पुरी (सात पवित्र शहर) दोनों का हिस्सा है।

द्वारका कृष्ण के प्राचीन साम्राज्य का एक हिस्सा था और नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, द्वारका में भी स्थित है और समुद्र तट एक अतिरिक्त पर्यटक आकर्षण हैं।

ऐसा माना जाता है कि यह शहर कभी समुद्र से घिरा हुआ था और हाल की खुदाई से पता चलता है कि यहां कभी एक शहर हुआ करता था।

क्या आपको पता है कि द्वारका नाम का अर्थ ‘मुक्ति का द्वार’ है।

प्राचीन मंदिरों और खूबसूरत समुद्र तटों की भूमि, कृष्णा शहर, द्वारका आपको अपनी हर चीज से मंत्रमुग्ध कर देगा।

इसका ऐतिहासिक महत्व इस इसी चीज से पता चलता है कि इसे विरासत विकास योजना के तहत (एएसआई) द्वारा विकसित किए जाने वाले सांस्कृतिक महत्व के 12 शहरों में से एक के रूप में चुना गया है।

वैसे तो द्वारका में घूमने के लिए बहुत सारे महत्वपूर्ण स्थान हैं जैसे एक ऐसा शहर जहां मिथक और वास्तविकता का मिश्रण आपको आध्यात्मिक ऊंचाई पर ले जाता है, पर फिर भी हमने आपके लिए द्वारका में घूमने के लिए 12 महत्वपूर्ण जगहों की लिस्ट बनाई है।

तो आइए द्वारका की इन 12 जगहों के बारे में जानते है जहाँ आपको घूमने ज़रूर आना चाहिए।

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1. द्वारकाधीश मंदिर – Dwarkadhish Temple

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शायद आपको पता न हो कि द्वारकाधीश मंदिर जिसे जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक चालुक्य शैली की वास्तुकला है, जो भगवान कृष्ण को समर्पित है और यह बात जानकर आपको आस्चर्य होगा की इसका इतिहास महाभारत के द्वारका साम्राज्य के समय का है।

यह पांच मंजिला मुख्य मंदिर चूना पत्थर और रेत से निर्मित अपने आप में भव्य और अद्भुत है। माना जाता है कि यह मंदिर 2200 साल पुरानी वास्तुकला वज्रनाभ द्वारा बनाई गई थी।

मंदिर क्षेत्र पर शासन करने वाले पैतृक राजवंशों और भगवान कृष्ण की काली भव्य मूर्ति द्वारा किए गए जटिल मूर्तिकला विवरण को प्रदर्शित करता है। मंदिर के भीतर अन्य मंदिर हैं जो सुभद्रा, बलराम और रेवती, वासुदेव, रुक्मिणी और कई अन्य को समर्पित हैं।

स्वर्ग द्वार से मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्तों को गोमती नदी में डुबकी लगनी पड़ती है जिससे आपका शरीर शुद्ध हो जाता है।

जन्माष्टमी की पूर्व संध्या किसी भी कृष्ण मंदिर में सबसे खास अवसर होता है, द्वारकाधीश मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। यह मंदिर रंगों, आवाजों और आस्था का एक छत्ता है जो खुद को आंतरिक मौन और पवित्रता में बदल देता है।

द्वारकाधीश मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय

वैसे तो आप द्वारकाधीश मंदिर मंदिर किसी भी समय जा सकते है लेकिन सर्दियों के दौरान मौसम सुखद रूप से गर्म रहता है, इसलिए द्वारकाधीश मंदिर जाने का अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है।

द्वारकाधीश मंदिर कैसे पहुंचे

शहर से द्वारकादीश मंदिर तक पोहोचना बोहोत ही आसान है। द्वारका मंदिर तक जाने के लिए आप कोई भी टैक्सी या बस ले सकते है जो की आपको आसानी से मिल जाएंगे।

द्वारकाधीश मंदिर के बारे में और जानने के लिए इसे पढ़े: द्वारिकाधीश मंदिर के समृद्ध इतिहास और पौराणिक कथाओं की खोज

2. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – Nageshwar Jyotirlinga Temple

द्वारका में स्थित नागेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह गुजरात में सौराष्ट्र के तट पर गोमती द्वारका और बैत द्वारका द्वीप के बीच में स्थित है।

आपको बता दे कि नागेश्वर मंदिर को नागनाथ मंदिर के रूप में भी जाना जाता है और इसकी एक वजह यह है की यहाँ के मुख्य देवता भगवान शिव हैं, जिन्हें नागेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

इस मंदिर की एक खास बात यह है कि, जो लोग नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में प्रार्थना करते हैं, वे सभी विषों, सांपों के काटने और सांसारिक आकर्षण से मुक्त हो जाते हैं।

अन्य नागेश्वर मंदिरों के विपरीत, यहाँ की मूर्ति या लिंग दक्षिण की ओर है। इस नागेश्वर मंदिर का एक प्रमुख आकर्षण भगवान शिव की 80 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा है।

अगर आप हिन्दू वास्तुकला के शौक़ीन है तो यह जानकार आपको ख़ुशी होगी कि मंदिर अपने आप में विशिष्ट हिंदू वास्तुकला की विशेषता है।

नागेश्वर शिव लिंग पत्थर से बना है, जिसे द्वारका शिला के नाम से जाना जाता है, जिस पर छोटे चक्र होते हैं और यह 3 मुखी रुद्राक्ष के आकार का है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व का पता आप इस बात से लगा सकते है कि इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से दूसरा माना जाता है और इसका मतलब यह है की आप यहाँ आकर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में दूसरे ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेंगे।

वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों पर बनाये गए इस मंदिर की योजना मानव शरीर के सयानम (नींद) मुद्रा पर बनाई गई है। महा शिवरात्रि के त्योहार पर आपको यहाँ ज़रूर आना चाहिए क्योकि उस दिन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में बोहोत बड़ा उत्सव मनाया जाता है, जिसमे दुनिया भर से भक्त यहाँ आते है और इस मंदिर के दर्शन करते है। आप शिवरात्रि को यहाँ आकर इस उत्सव का मज़ा ले सकते है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम होता है जो की अक्टूबर से फरवरी तक रहता है।

इन महीनों के दौरान तापमान ठीक रहता है और यह इसलिए ज़रूरी है क्योकि कभी कभी शिव लिंग की एक झलक के लिए भक्तो को लम्बी लाइन मे खड़ा होना पड़ता है और गर्मियों के मौसम में लाइम में खड़ा होना कितना मुश्किल होता है या हमें आपको बताने की ज़रुरत नहीं है।

शिवरात्रि का टाइम भी सर्दियों में होता है जिससे यह समय यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा बन जाता है।

कैसे पहुंचें नागेश्वर

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर गुजरात में सौराष्ट्र के तट पर गोमती द्वारका और बैत द्वारका द्वीप के बीच मार्ग पर स्थित है। मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पहले फ्लाइट या ट्रेन से द्वारका पहुंचें।

हवाई यात्रा: द्वारका का निकटतम हवाई अड्डा जामनगर में लगभग 137 किमी दूर स्थित है। जामनगर हवाई अड्डा नियमित उड़ानों द्वारा मुंबई से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डे और द्वारका के बीच की दूरी एक टैक्सी में तय की जा सकती है, जिसकी कीमत आमतौर पर लगभग 2000 रुपये होती है।

ट्रेन: द्वारका रेलवे स्टेशन दैनिक नियमित ट्रेनों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है।

नागेश्वर द्वारका से लगभग 18 किमी (25 मिनट की ड्राइव) दूर स्थित है। द्वारका से ऑटो-रिक्शा आसानी से उपलब्ध हैं, दोनों तरीकों के लिए लगभग 300-400 रुपये चार्ज करते हैं। टैक्सी भी आसानी से उपलब्ध है, जिसकी कीमत लगभग 800-1200 रुपये है।

  • समय: सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक; शाम 5 बजे से 9:30 बजे तक
  • आदर्श: धर्म, आध्यात्मिकता
  • आवश्यक समय: 1 घंटा

द्वारकाधीश मंदिर के बारे में और जानने के लिए इसे पढ़े: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की रहस्यमय कहानी: एक विचित्र और रहस्यमय स्थान की अनसुनी कहानी

3. द्वारका बीच – Dwarka Beach

द्वारकाधीश मंदिर से थोड़ा दूर अरब सागर के तट पर फैला प्राचीन द्वारका समुद्र तट है, जो आपके द्वारका की यात्रा में चार चाँद लगा देगा।

इस तट की सुनहरी रेत और साफ पानी के साथ लुभावनी सुंदरता आपको बोहोत आएगी। द्वारका में पर्यटन स्थलों और मंदिरों में घूमने के आलावा यह आपको कुछ अलग अनुभव देगा।

यह जगह सुबह उगते सूरज को और श्याम को डूबते सूरज को देखने के लिए एक बोहोत ही अच्छी और सटीक जगह है।

समुद्र तट के आखिर में एक आकर्षक लाइटहाउस भी है, जहाँ जाकर आप फोटो भी खिंचवा सकते है। अगर आपको फोटो खींचने का शोक है तो आपको यहाँ ज़रूर जाना चाहिए।

इन सब चीज़ो के आलावा द्वारका समुद्र तट पर कुछ प्राचीन मंदिर भी हैं जो 1100 से 1200 दशक के है। इन पुराने मंदिरो में बोहोत सी पुरानी रेखाएं खींची हुई है जो इन मंदिरो के पुराने और प्राचीन होने है सबूत देती है।

द्वारका तट पर सिर्फ घूमने का ही नहीं बल्कि खाने का भी पूरा इंतेज़ाम है।

यहाँ पास में ही आपको बोहोत सारे खाने के स्टालों की लाइन मिल जाएगी जहाँ पर आप अपनी मन पसंद का खाना खा सकते है और खाते हुए शानदार डूबते सूरज का मज़ा ले सकते है।

और अंत में घूमने और खाने के बाद आप पास में ही लगे रंगीन गोले और मोतियों के स्टॉल से आपने लिए कुछ खरीद सकते है।

कैसे पहुंचें द्वारका बीच

द्वारका बीच द्वारका शहर के केंद्र से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर है। समुद्र तट तक पहुंचने के लिए आपको बस, ऑटो और टैक्सी आसानी से मिल जाएँगे है।

सबसे पास का बस स्टॉप समुद्र तट से 20 मिनट की पैदल दूरी पर है, जो लगभग 1.3 किमी दूर है। हालांकि सस्ते बस विकल्प हैं, किराए की कैब एक परिवार के लिए अधिक आरामदायक होगी, हालांकि यह बहुत अधिक महंगी होगी।

  • समय: कभी भी
  • प्रवेश शुल्क: मुफ्त
  • आदर्श: प्रकृति, विश्राम, फोटोग्राफी, सूर्यास्त
  • आवश्यक समय: जितना आप चाहे

4. रुक्मणी मंदिर – Rukmani Temple

जैसा की नाम से ही आपको पता चल गया होगा की रुक्मणी मंदिर भगवन कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी देवी का मंदिर है। भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी को समर्पित ये खूबसूरत मंदिर द्वारका शहर से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर है। यह एक वास्तुशिल्प उत्कृष्ट कृति है जिसकी वजह से इसे हमने द्वारका में घूमने के चुना है।

यहाँ के पुजारी से सुनाई गई दिलचस्प कहानी को सुनकर आप 12वीं शताब्दी के इस मंदिर की और इसकी नक्काशी की तारीफ किए बिना नहीं रह सकते।

शायद आपको यह बात नहीं पता होगी की इस मंदिर के द्वारकाधीश मंदिर शहर से दूर होने के पीछे भी एक कहानी है। ऐसा माना जाता है कि जब रुक्मिणी देवी ने महान ऋषि दुर्वासा को क्रोध दिलाया तो उन्होने क्रोध में आकर रुक्मिणी देवी को उनके पति कृष्ण से अलग होने का श्राप दिया। और यही वजह है की रुक्मिणी देवी मंदिर द्वारकाधीश मंदिर से दूर बना है।

कैसे पहुंचें रुक्मिणी देवी मंदिर

मंदिर द्वारका स्टेशन से 0.4 किमी, ओखा स्टेशन से 27.5 किमी और भाटिया स्टेशन से 36.5 किमी दूर है। इन स्टेशनों से आप मंदिर जाने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।

  • समय: सुबह 6:00 बजे से रात 9:30 बजे तक
  • आदर्श: वास्तुकला, इतिहास
  • आवश्यक समय: 1 घंटा
  • घूमने का सबसे अच्छा समय: नवंबर और फरवरी के महीनों के बीच इस जगह पर आना सही रहेगा।

5. गोमती घाट – Gomti Ghat

जैसा की कम सब जानते है की गोमती नदी गंगा नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है। इसके अलावा यह नदी हिंदू धर्म में सबसे अधिक पूजनीय जलधारा है और गोमती नदी के मुहाने पर गोमती घाट है, जिसे द्वारकाधीश मंदिर से पहुँचने के लिए लगभग 56 सीढ़ियों की आवश्यकता होती है।

द्वारका में कई जगहों में घूमने के बाद आप गोमतो घाट में आकर कुछ घंटे बिना शोर और भीड़ के बिता सकते है, यह एक बोहोत ही शांत जगह है और लोग अक्सर यहाँ शांति में बैठने के लिए ही आते है।

क्योंकि यह घाट द्वारकाधीश मंदिर के ठीक पीछे स्थित है इसलिए ऐसा माना जाता है कि आपको मंदिर में जाने से पहले इस पवित्र घाट में डुबकी लगानी चाहिए।

यहाँ आकर आप गोमती नदी और अरब सागर के संगम को देख सकते है। कुछ और मज़ेदार करने के लिए यहां फेरी और नाव की सवारी भी उपलब्ध हैं।

  • समय: सुबह 6:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक
  • आदर्श: सूर्यास्त, आध्यात्मिकता, फोटोग्राफी
  • आवश्यक समय: 1 घंटा
  • घूमने का सबसे अच्छा समय: सर्दियों के मौसम में पर्यटक इस जगह पर आना पसंद करते हैं।

6. बेट द्वारका – Beyt Dwarka

द्वारका के मुख्य शहर से लगभग 30 किमी दूर स्थित, बेयट द्वीप (जिसे बेट द्वारका या शंकोधर भी कहा जाता है) एक छोटा द्वीप है और द्वारका में देखने के लिए सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है।

यह ओखा के विकास से पहले इस जगह का मुख्य बंदरगाह हुआ करता था। कच्छ की खाड़ी के पास स्थित, यह द्वीप कुछ मंदिरों, सफेद रेत के समुद्र तटों से घिरा हुआ है, जिस वजह से यहाँ ज्यादा लोग घूमने आते है।

यहाँ आकर आप बोहोत कुछ कर सकते है जैसे डॉल्फ़िन स्पॉटिंग, समुद्री भ्रमण, समुद्र तट शिविर और पिकनिक आदि हैं।

एक पर्यटक स्थल होने के अलावा इस जगह का एक महत्वपूर्ण पौराणिक और धार्मिक महत्व भी है। जब भगवान कृष्ण द्वारका के राजा थे तब इस जगह को भगवान कृष्ण का घर माना जाता था क्योंकि यही वो जगह है जहाँ पर भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा के साथ चावल की थैलियों का आदान-प्रदान किया जैसा कि कहानी में कहा गया है।

और यही एक कारन है कि इस जगह पर तीर्थयात्रा के लिए भी कई भक्त आते हैं। पवित्र मंदिर के साथ-साथ ओखा जेट्टी से मंदिर तक पहुंचने के लिए आप सुंदर नाव की सवारी भी कर सकते है।

बेयट द्वीप में आपको कई मंदिर भी मिलेंगे जिनमें एक भगवान कृष्ण को समर्पित प्रमुख केशवराईजी मंदिर है जिसे 500 साल पहले वल्लभाचार्य द्वारा बनाया गया था।

जाने का सबसे अच्छा समय

बेयट घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के मौसम के दौरान होता है, यानी अक्टूबर और मार्च के महीनों के बीच।

इस समय औसत तापमान लगभग 20-22 डिग्री सेल्सियस होता है। गर्मी के मौसम और मानसून से बचा जाए तो सबसे अच्छा है क्योंकि यह क्षेत्र गर्मियों के दौरान बोहोत गर्म होती है और बरसात के मौसम में बोहोत बारिश होती है जिससे आप काफी चीज़ो का मज़ा नहीं ले पाएंगे जैसे नाव की सवारी करना, श्याम को ढलता सूरज देखना आदि होता है।

कैसे पहुंचा जाये

बेयट पहुंचने के लिए आपको पहले द्वारका पहुंचना होगा। द्वारका के सबसे पास का हवाई अड्डा जामनगर में है जो शहर से केवल 45 किमी की दूरी पर है।

सभी पड़ोसी शहरों से द्वारका के लिए नियमित राज्य बसें और ट्रैन भी चलती हैं। एक बार जब आप द्वारका पहुंच जाएंगे तो बेयट के लिए बस स्टैंड से एक निजी कैब या बस ले सकते हैं।

यहां आपको ओखा घाट पर उतरना होगा जो द्वारका से लगभग 35 किमी दूर है। जेट्टी से, 15 मिनट की नाव की सवारी आपको समुद्र के पार बेयट द्वीप तक ले जाएगी।

  • समय: मुख्य मंदिर दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे के बीच बंद रहता है। भीड़ से बचने और सूर्यास्त के दृश्यों का आनंद लेने के लिए शाम 5:30 बजे पहुंचना एक अच्छा विचार है।
  • नौका लागत: INR 10-30 / व्यक्ति / पक्ष। परेशानी मुक्त और अधिक सुखद अनुभव के लिए बड़े समूह INR2000 के लिए एक निजी नाव किराए पर ले सकते है
  • आवश्यक समय: 1 घंटा

7. गोपी तालाब – Gopi Talav

आपकी द्वारका घूमने की ट्रिप बिना गोपी तालाब घूमे कुछ अधूरी सी रहेगी। कहानियों कि माने तो यह तालाब भगवान कृष्ण की बचपन की हुआ करता था क्योकि यहाँ श्री कृष्ण गोपियों के लिए “रास” का नृत्य करते थे।

ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण से दूर रहने की बेचैनी में, वृंदावन से गोपियां एक आखिरी बार उनके साथ नृत्य करने यहाँ पहुंचीं और दिव्यता के इस नृत्य के दौरान अपने प्राण त्यागने और मिट्टी में मिल जाने की पेशकश की।

आज यहाँ की मिट्टी को “गोपी चंदन” या गोपियों के चंदन के रूप में जाना जाता है। लोगो यहाँ आकर वृंदावन की गोपियों और भगवान कृष्ण की पौराणिक घटना को याद करते हुए इस नरम पीली मिट्टी को तराशते हैं।

  • समय: कभी भी
  • प्रवेश शुल्क: मुफ्त
  • आदर्श: आध्यात्मिकता, विरासत
  • आवश्यक समय: जितना आप चाहे

8. गीता मंदिर – Gita Temple

सूर्यास्त पॉइंट और भद्रकेश्वर महादेव मंदिर के करीब स्थित, गीता मंदिर सबसे पवित्र और बुद्धिमान भारतीय ग्रंथ, भगवद गीता को समर्पित है।

1970 में बिड़ला के उद्योगपति परिवार द्वारा बनवाये गए इस मंदिर में सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया है, जिससे इस मंदिर की शोभा देखते ही बनती है।

यह मंदिर हिंदुओं की धार्मिक पुस्तक भगवद गीता की शिक्षाओं और मूल्यों को पकड़ने और संरक्षित करने के लिए बनाया गया था।

इस मंदिर की दीवारों को पवित्र पुस्तक के छंदों के साथ अंकित किया गया है। इस मंदिर की एक खास बात यह है की यहाँ तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था भी की गयी है जो की मंदिर परिसर में ही उपलब्ध है।

  • प्रवेश शुल्क: मुफ्त
  • समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक।
  • आदर्श: आध्यात्मिकता, शांति
  • आवश्यक समय: 1 घंटा
  • घूमने का सबसे अच्छा समय: मानसून के मौसम में आप इस जगह पर आ सकते हैं क्योंकि जलवायु मध्यम रहती है।

9. सुदामा सेतु – Sudama Setu

सुदामा सेतु ब्रिज गोमती नदी को पैदल पार करने वालों के लिए बनाया गया एक शानदार सस्पेंशन ब्रिज है।

यह पल इसलिए भी खास है क्योकि इस पुल का नाम भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुधामा के नाम पर रखा गया था।

इसका उद्घाटन 2016 में गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने किया था।

सुधामा सेतु प्राचीन जगत मंदिर और द्वीप पर पवित्र पंचकुई तीर्थ को जोड़ता है जो पौराणिक पांडव भाइयों से जुड़ा है।

पौराणिक कथाओं के अलावा, पुल नदी और अरब सागर के लुभावने दृश्य के लिए भी प्रसिद्ध है।

दृश्य का आनंद लेने के लिए यहां बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है। यह निलंबन पुल इस द्वीप पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण विशेषता के रूप में कार्य करता है।

सुदामा सेतु के मार्ग में पांच पांडव कुएं और एक प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर है। यह प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर के भी काफी करीब है। ऊंट की सवारी यहां की लोकप्रिय चीज़ है।

  • समय: सुबह 7 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक; शाम 4 बजे से शाम 7:30 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क: INR 10 / व्यक्ति।
  • आदर्श: सुंदर दृश्य, चित्र

सुदामा सेतु के बारे में और जानने के लिए इसे पढ़े: सुदामा सेतु: प्रेम और मित्रता का प्रतीक

10. भादकेश्वर महादेव मंदिर – Bhadkeshwar Mahadev Temple

भादकेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक छोटा सा मंदिर है जो अपने शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

यहाँ आपको अरब सागर के दृश्य के साथ, मंदिर, नीले पानी, सुनहरी रेत और दिन भर शांत हवा का मज़ा मिलेगा।

मंदिर में समुद्री लहरों की आवाज़ के साथ शाम की आरती एक आपके लिए एक अलग ही अनुभव होगा।

यह वास्तव में द्वारका समुद्र तट के बहुत पास है, इसलिए आप इस मंदिर तक चलकर भी जा सकते हैं, भगवान का आशीर्वाद ले सकते हैं और आसपास के भव्य वातावरण का आनंद ले सकते हैं जो शांति की भावना लाता है।

  • समय: सुबह 6:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक
  • आदर्श: शांति, आध्यात्मिकता, कायाकल्प
  • आवश्यक समय: 1 घंटा

11. डनी पॉइंट – Dunny Point

अगर आप एक प्रकृति प्रेमी और साहसिक उत्साही है तो डनी पॉइंट आपको ज़रूर जाना चाहिए। बेयट द्वारका के चरम छोर पर स्थित यह अछूता स्वर्ग आपके लिए एक इंट्रस्टिंग जगह है।

तीनों तरफ समुद्र से घिरा यह इकोटूरिज्म साइट तैराकी, सनबाथिंग, बर्ड वॉचिंग और कैंपिंग के लिए बढ़िया जगह है।

यहाँ कुछ साहसिक कंपनियां और गुजरात पर्यटन रात में ट्रेकिंग, डॉल्फ़िन देखने, और समुद्री जैव विविधता जैसी कई रोमांचक गतिविधियों के साथ समुद्र के किनारे रात्रि शिविर आयोजित करते हैं। आप इन शिविरों में शामिल हो सकते है और इन सभी चीज़ो का मज़ा ले सकते है।

अगर आपका मन करे तो आप बिना बिजली और मोबाइल नेटवर्क के बुनियादी टेंटों में यहां कुछ रातें बिता सकते है जो आपको एक अलग ही अनुभव देगा।

  • समय: कभी भी
  • प्रवेश शुल्क: मुफ्त
  • के लिए आदर्श: प्रकृति, साहसिक कार्य, फोटोग्राफी, डॉल्फिन देखना
  • आवश्यक समय: जितना आप चाहे

12. स्वामी नारायण मंदिर – Swaminarayan Mandir

द्वारका में देखने के लिए सबसे खूबसूरत जगहों में से एक, स्वामी नारायण टेमोक अरब सागर के तट पर बना एक पवित्र मंदिर है और स्वामीनारायण को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के अवतार थे।

यह मंदिर नई तकनीक को इस्तेमाल करके बनाया गया है, जिसमें जटिल वास्तुकला मूर्तियों और दीवारों पर उभरी हुई नक्काशी की गयी है जिसे आप चुकार महसूस कर सकते है।

मंदिर के आसपास और मुख्य मंदिर के सामने एक झंडा है। इस सजावटी सफेद-संगमरमर के मंदिर के अंदर सुंदर दीवार नक्काशी के साथ एक अच्छी तरह से बनाए रखा संगमरमर का फर्श है।

यह मंदिर दो मंज़िला है और दूसरी मंजिल की छत पर जटिल डिजाइन काफी उल्लेखनीय है। मंदिर के परिसर में फोटोग्राफी की अनुमति है लेकिन मंदिर के अंदर नहीं।

  • समय: कभी भी
  • प्रवेश शुल्क: मुफ्त
  • आदर्श: आध्यात्मिकता, वास्तुकला, विरासत
  • आवश्यक समय: जितना आप चाहे