द्वारकाधीश मंदिर गुजरात के द्वारका में स्थित एक पवित्र हिंदू मंदिर है।
यह मंदिर 2,500 साल से भी ज्यादा पुराना है और यह भगवान कृष्ण को समर्पित है।
द्वारकाधीश मंदिर को इसकी शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है और इसलिए यह गुजरात में एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल भी है।
आप इस मंदिर में जाकर भगवन कृष्ण के दर्शन कर सकते है और इसके अलावा यहाँ के संग्रहालय में भी जा सकते है जो भगवान कृष्ण और मंदिर के इतिहास से जुड़े वस्तुओं का प्रदर्शन करता है।
आप मंदिर में जाकर पूजा करके भगवान कृष्ण से आशीर्वाद ले सकते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास
द्वारकाधीश मंदिर को स्वर्ण द्वारिका के नाम से भी जाना जाता था, क्योंकी द्वारकाधीश मंदिर में जाने के लिए एक दरवाजा हुआ करता था जो पूरी तरह सोने से बना हुआ था।
द्वारिकाधीश मंदिर भारत के चार धामों में से भी एक है जिसमे अन्य बद्रीनाथ, रामेेश्वरम, जगन्नाथपुरी शामिल है।
यह मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर भी है, जो एक समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के साथ खड़ा है।
हाला की मंदिर का निर्माण 2500 से अधिक वर्ष पहले का है, पर उसके बाद भी इसे कई बार दुबारा से बनाया गया।
पौराणिक कहानियों के अनुसार, भगवान कृष्ण द्वारका के राजा थे और इसी लिए मंदिर का उसी जगह बनाया गया है जहां भगवान कृष्ण रहते थे और शासन करते थे।
इस मंदिर की खास बात यह है की यह 72 स्तम्भों पर बना 5 मंजिला ईमारत है। एक कहानी के अनुसार इसी जगह भगवान विष्णु ने शंखासुर नाम के राक्षस का वध किया था।
एक मान्यता यह भी है कि मंदिर का मूल निर्माण वज्रनभ द्वारा किया गया था, जो भगवान कृष्ण के प्रज्ज्वल उत्सव के दौरान द्वारका में आए थे।
उन्होंने द्वारकाधीश या ‘द्वारका के भगवान’ की पहली मूर्ति स्थापित की थी।
वैसे तो सदियों से कई बार मंदिर का नवीनीकरण और विस्तार का हुआ है, पर इनमे सबसे महत्वपूर्ण नवीनीकरण 16 वीं सदी में जयपुर के राजा जगत सिंह ने करवाया था।
इस नवीनीकरण के दौरान, मंदिर का निर्माण चूना पत्थर और संगमरमर से किया गया था, और मंदिर का गुंबद सोने से बनवाया गया था।
कुछ लोगो के लिए द्वारकाधीश मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, क्योंकी इनका ऐसा मानना हैं कि मंदिर में दर्शन करना और द्वारकाधीश से आशीर्वाद मांगना एक समृद्ध और सफल जीवन के लिए ज़रूरी है।
आपको इस मंदिर में अन्य देवताओं जैसे राधा, रुक्मिणी, और सत्यभामा को समर्पित कुछ छोटे मंदिरों भी देखने को मिल जाएंगे।
द्वारकाधीश मंदिर हिंदुओं के लिए बहुत ही विशेष महत्त्व रखता है। यह भगवान कृष्ण का शहर माना जाता है और इसे कई पुराणों में मुख्य द्वार भी कहा जाता है।
आज भी द्वारकाधीश मंदिर में दो दरवाजे हैं, जिसमें से एक स्वर्ग के लिए जाता है और दूसरा मोक्ष के लिए।
द्वारकाधीश मंदिर की कथा – भगवान कृष्ण के राज्य की एक कहानी
एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब मथुरा में भगवान कृष्ण और उनके मामा कंस के बीच युद्ध चल रहा था, तो भगवान कृष्ण ने मथुरा के लोगों को कंस से बचने के लिए कंस को मार दिया। कंस की मृत्यु के बाद, उनके पिता उग्रसेना को मथुरा का राजा बना दिया गया।
हालांकि, कंस के ससुर जरासंध जो मगध के राजा भी थे, ने इस बात को स्वीकार नहीं किया, और सभी यदुवंशों को ख़तम करने की प्रतिज्ञा ली। मथुरा के लोगों की बचाने के लिए, भगवान कृष्ण अपने सभी यदुवंश के लोगो को लेकर द्वारका चले गए।
ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण के कहने पर देवता विश्वकर्मा ने, गोमती नदी के किनारे एक जलभूमि को प्राप्त करके द्वारका शहर को बनाया, जहाँ भगवन कृष्ण अपने सभी यदुवंशो के साथ रहने चले गए।
आज, द्वारकाधीश मंदिर न केवल भगवान कृष्ण के राज्य का प्रतीक है बल्कि उनके लोगों के विश्वास और भक्ति का भी प्रमाण है। दुनिया भर के भक्त मंदिर में द्वारकाधीश से आशीर्वाद लेने और मंदिर की महिमा को देखने के लिए आते हैं।
जब आप मंदिर के भव्य प्रवेश द्वार के सामने खड़े होंगे, तो आप मंदिर के आस-पास के आध्यात्मिक ऊर्जा को महसूस कर सकेंगे।
मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी और मूर्तिकला भगवान कृष्ण के जीवन की कहानी और उनके लोगों से प्यार की कहानी सुनाते हैं।
अंदर जाकर आपको मंदिर के हॉल और मंदिरों से भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत की झलक देखने को मिलेगी।
द्वारका नगरी के अंत की कहानी: शाप और विनाश
पौराणिक कहानियों की माने तो, भगवान कृष्ण ने अपने अठारह परिवारीय सदस्यों के साथ 36 साल तक द्वारका पर राज किया था।
लकिन उनके निधन के बाद, गांधारी ने एक शाप दे कर उनकी पूरी यदु वंश को नष्ट कर दिया, जिससे द्वारका नगर समुद्र में डूब गयी इसलिए कहा जाता है कि द्वारका नगर का अंत उस शाप और उसके परिणामस्वरूप हुए विनाशकारी घटनाओं के कारण हुआ था।
निष्कर्ष
द्वारकाधीश मंदिर न केवल एक महान संरचना है, बल्कि भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति का एक प्रतीक भी है।
इसकी कहानी भगवान कृष्ण के राज्य, उनके लोगों से प्यार और उनके अनुयायियों की भक्ति की कहानी है।
और इसे धार्मिक स्थल होने के साथ साथ इसी द्वारका के पर्यटक स्थलों में भी गिना जाता है। आप यहाँ आकर इसके आस पास की जगहों पर भी घूम सकते है।