भारत के 14 प्राचीन,चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर – Ancient Miraculous and Mysterious Temples of India in Hindi

भारत 64 करोड़ देवी-देवताओं की भूमि है, जो अपने प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों के लिए विश्वविख्यात है। भारत देश के कोने-कोने में आपको बिभिन्न देवी-देवतायों को समर्पित मंदिर देखने को मिलते है, जो अपनी किसी ना किसी परम्परा,सिद्धि, संस्कृति, या मान्यतायों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इनके साथ-साथ भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी है, जो अपनी रहस्यमयी और अविश्वसनिय घटनायों की बजह से चर्चा के विषय बने हुए है। भारत के प्राचीनतम मंदिरों की बनावट, विशेषता, महत्व और इतिहास आदि जानने के लिए ही पर्यटक बार-बार भारत की ओर रुख करते हैं। इनमें से कई मंदिर तो ऐसे भी हैं जो कई हजारों साल पुराने हैं और जिनके बारे में जानना पर्यटकों के लिए कौतुहल का विषय है, जो श्र्धालुयों और पर्यटकों के साथ-साथ इतिहासकारों के लिए भी एक पहेली बने हुए है।

और ये रहस्यमयी मंदिर अपनी रहस्यमयी घटनायों और अद्भुद कहानियों से कई हजारों पर्यटकों और इतिहासकारों को इन्ही रहस्यमयी घटनायों पर खोज करने के लिए अपनी और आकर्षित करते है।भारत कई रहस्यमय मंदिरों का देश है। भारत के इन रहस्यमय मंदिरों में से कुछ अपने अपरंपरागत देवताओं के कारण प्रसिद्ध हैं, कुछ उनके भूत-प्रेत संस्कार के कारण, और कुछ इसलिए क्योंकि वे 2000 वर्ष से अधिक पुराने हैं। प्राचीनकाल में जब मंदिर बनाए जाते थे तो वास्तु और खगोल विज्ञान का ध्यान रखा जाता था। इसके अलावा राजा-महाराजा अपना खजाना छुपाकर इसके ऊपर मंदिर बना देते थे और खजाने तक पहुंचने के लिए अलग से रास्ते बनाते थे।

1. वीरभद्र मंदिर, आंध्र प्रदेश

वीरभद्र मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी मंदिरों में से एक है। 16 वीं शताब्दीके आसपास निर्मित 16 वीं शताब्दी 70 विशाल स्तंभों का घर है जो विजयनगर शैली को दर्शाते हैं। वीरभद्र मंदिर की रहस्यमयी बात यह है की यहाँ 70 विशाल स्तंभों में से एक स्तंभ मंदिर की छत से लटका हुआ है, और वह जमीन को बिलकुल भी स्पर्श नही करता है। जिसे हैंगिंग पिलर के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ अक्सर पर्यटक स्तंभ के निचे से एक पतला कपड़ा निकालते हुए देखे जाते है।

2. वेंकटेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित, भगवान वेंकटेश्वर मंदिर को तिरुपति के रूप में जाना जाता है, जो देश के सबसे अधिक प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। वेंकटेश्वर मंदिर तिरुपति की सात पहाड़ियों में से एक है, जहाँ मुख्य मंदिर स्थित है। माना जाता है कि यहाँ भगवान वेंकटेश्वर ने एक मूर्ति का रूप धारण किया था और इसलिए यहाँ वेंकटेश्वर मंदिर की स्थापना हुई। देवता के घर को बालाजी और गोविंदा के रूप में भी जाना जाता है। नाइयों द्वारा निर्मित, भारत के इस सबसे प्रसिद्ध रहस्यमय मंदिर में दो विशाल हॉल हैं, जो हर दिन 12,000 से अधिक तीर्थयात्रियों के बाल काटते है, जो सालाना लगभग 75 टन बाल तक पहुंचते हैं। और इन बालों को बेचकर तिरुपति मंदिर को 6.5 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक की कमाई होती हैं।

3. काल भैरव मंदिर, उज्जैन

हालांकि इस मंदिर के बारे में सभी जानते हैं कि यहां की काल भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है इसीलिए यहां मंदिर में प्रसाद की जगह शराब चढ़ाई जाती है। यही शराब यहां प्रसाद के रूप में भी बांटी जाती है। कहा जाता है कि काल भैरव नाथ इस शहर के रक्षक हैं। इस मंदिर के बाहर साल के 12 महीने और 24 घंटे शराब उपलब्ध रहती है। 

4. स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर, गुजरात

गुजरात में मौजूद स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर भारत के अविश्वसनीय और रहस्यमय मंदिरों में आता है। ऐसा कहा जाता है कि ये मंदिर दिन में कुछ समय के लिए पूरी तरह से गायब हो जाता है। गायब होने के बाद इस मंदिर का एक भी हिस्सा दिखाई नहीं देता। ये मंदिर गुजरात में अरब सागर और कैम्बे की खाड़ी के तट के बीच मौजूद है और हाई टाइड के दौरान ये मंदिर रोजाना पानी में डूब जाता है और हाई टाइड का स्तर नीचे जाने पर ये मंदिर फिर से ऊपर आ जाता है। ऊपर आने के बाद, फिर इस मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। प्रकृति के इस असाधारण नजारे को देखने के लिए यहां हजारों में भीड़ जमा हो जाती है।

5. ब्रह्मा मंदिर पुष्कर, राजस्थान

ब्रह्मा मंदिर जिसे जगतपिता ब्रह्मा मंदिर भी कहा जाता है। ब्रह्मा मंदिर भारत का प्राचीन रहस्यमय मंदिर है जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित है, जिन्हें ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है। यह भारत में ब्रह्मा को समर्पित एकमात्र मंदिर होने के कारण हर साल लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। माना जाता है कि ब्रह्मा मंदिर 2000 साल पुराना है, जिसे मूल रूप से 14 वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह आदि शंकराचार्य और ऋषि विश्वामित्र द्वारा निर्मित किया गया था। संगमरमर और विशाल पत्थर की शिलाओं से निर्मित इसमें भगवान ब्रह्मा की दो पत्नियों, गायत्री और सावित्री के चित्र हैं। और इस मंदिर को संन्यासी (तपस्वी) संप्रदाय द्वारा संचालित है।

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6. शनि शिंगणापुर, महाराष्ट्

देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्वप्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है।

यहां शिगणापुर शहर में भगवान शनि महाराज का खौफ इतना है कि शहर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं हैं। दरवाजों की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे। ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। कहा जाता है कि जो भी चोरी करता है उसे शनि महाराज सजा स्वयं दे देते हैं। इसके कई प्रत्यक्ष उदाहरण देखे गए हैं। शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए यहां पर विश्वभर से प्रति शनिवार लाखों लोग आते हैं।

7. काल भैरव नाथ मंदिर, वाराणसी

काल भैरव नाथ मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी मंदिरों में से एक है। यह मंदिर बटुक भैरव को समर्पित है, जो भगवान शिव के अवतार थे। वाराणसी का प्रसिद्ध मंदिर काल भैरव नाथ मंदिर अघोरियों और तांत्रिकों के लिए उनका बिशेष पूजा स्थल माना जाता है। काल भैरव नाथ मंदिर की सबसे रहस्यमयी और दिलचस्प विशेषता पवित्र अखंड दीप है जो माना जाता है कि यह युगों से जल रहा है। कहा जाता है कि इस दीपक के तेल में हीलिंग पॉवर होती है।

साथ इस मंदिर की एक और दिलचस्प बात यह की यहाँ भैरव नाथ को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है चाहे बस व्हिस्की, वोडका या फिर देशी शराब। काल भैरव नाथ मंदिर में शराब सीधे देवता के खुले हुए मुह में डाली जाती है और उसे बाद में भक्तो को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। और इस मंदिर के बाहर अन्य मंदिरों की तरह फूल या मिठाइयाँ नही बेचीं जाती है बल्कि इस मंदिर के बाहर के स्टाल प्रसाद के लिए केवल शराब बेचते हैं।

8. सोमनाथ मंदिर, गुजरात

सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। प्राचीनकाल में इसका शिवलिंग हवा में झूलता था, लेकिन आक्रमणकारियों ने इसे तोड़ दिया। माना जाता है कि 24 शिवलिंगों की स्थापना की गई थी उसमें सोमनाथ का शिवलिंग बीचोबीच था। इन शिवलिंगों में मक्का स्थित काबा का शिवलिंग भी शामिल है। इनमें से कुछ शिवलिंग आकाश में स्थित कर्क रेखा के नीचे आते हैं।

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इस स्थान को सबसे रहस्यमय माना जाता है। यदुवंशियों के लिए यह प्रमुख स्थान था। इस मंदिर को अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।

यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे, तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था, तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।

9. करणी माता मंदिर, राजस्थान

राजस्थान के देशनोक नगर में करणी माता का मंदिर मौजूद है। ये मंदिर भी किसी रहस्यमयी मंदिर से कम नहीं है। आपको जानकार हैरानी होगी कि इस मंदिर में 20,000 से अधिक चूहे है, और चूहों का झूठा भोजन बेहद पवित्र माना जाता है। भोजन को वहां प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है। ऐसा भी मान्यता है कि अगर एक चूहा मारा जाता है, तो उसकी जगह पर एक सोने का चूहा रखा जाता है। 

10. कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर, केरल

कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर या केरल में श्री कुरुम्बा भगवती मंदिर केरल के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर देवी भद्रकाली के एक प्रमुख रूप को समर्पित है। पवित्र मंदिर केरल के सबसे शक्तिशाली शक्ति पीठों में से एक है और इसे कन्नकी के अवतार के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर का आकर्षक या रहस्यमयी पहलू यह है कि यहाँ माना जाता है कि मंदिर में होने वाली पूजा या अनुष्ठान स्वयं देवी के निर्देशों के तहत किए जाते हैं।

11. देवारागट्टू मंदिर, आंध्र प्रदेश

देवारागट्टू मंदिर दक्षिण भारत के सबसे रहस्यमय मंदिरों में से एक है। देवारागट्टू मंदिर बानी महोत्सव के लिए प्रसिद्ध है। यह त्योहार निश्चित रूप से भारत का सबसे अजीब और सबसे खूनी दशहरा उत्सव है। जहाँ कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के सैकड़ों ग्रामीण इस खतरनाक उत्सव का हिस्सा बनने के लिए कुरनूल में इकट्ठा होते हैं। जहाँ लोग उत्सव में एक दूसरे पर लाठियों से प्रहार करते है, चाहे उससे किसी का सिर फूटे या कुछ भी लेकिन उत्सव नही रोका जाता है।

और माना जाता है की कुछ 100 बर्षो पहले यह उत्सव कुल्हाड़ियों और भाले के साथ मनाया जाता था। लेकिन अब यह वर्तमान स्वरूप में सिर्फ लाठी के साथ मनाया जाता है। जबकि पूरा उत्सव दर्शकों को झकझोर कर रख देता है, यह स्थानीय लोगों का “मारने या मारने” का उत्साह है जो हमें आश्चर्यचकित करता है कि हम बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए कितना दूर जाते हैं।

12. बालाजी मंदिर महेन्दीपुर, राजस्थान

राजस्थान राज्य के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान (शक्ति के देवता) को समर्पित है। कई भक्तों का मानना ​​है कि यह जगह जादुई शक्तियों से युक्त मंदिर है और इसलिए बालाजी मंदिर में हजारों श्रद्धालु काला जादू से छुटकारा पाने और राहत पाने के लिए आते हैं। भूत और बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए यह सबसे अच्छा स्थल माना जाता है। पोराणिक कथायों के अनुसार माने तो बालाजी मंदिर से कई दिव्य शक्तियां जुड़ी है, जो बुरी आत्माओं से प्रभावित लोगों को ठीक करने की क्षमता रखती है, और उन्हें काले जादू के चंगुल से खुद को मुक्त करने में मदद करती है। 

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13. कामाख्या देवी मंदिर, असम

कामाख्या मंदिर को तांत्रिकों का गढ़ कहा गया है। माता के 51 शक्तिपीठों में से एक इस पीठ को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह असम के गुवाहाटी में स्थित है। यहां त्रिपुरासुंदरी, मतांगी और कमला की प्रतिमा मुख्य रूप से स्थापित है। दूसरी ओर 7 अन्य रूपों की प्रतिमा अलग-अलग मंदिरों में स्थापित की गई है, जो मुख्य मंदिर को घेरे हुए है।

पौराणिक मान्यता है कि साल में एक बार अम्बूवाची पर्व के दौरान मां भगवती रजस्वला होती हैं और मां भगवती की गर्भगृह स्थित महामुद्रा (योनि-तीर्थ) से निरंतर 3 दिनों तक जल-प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाहित होता है। इस मंदिर के चमत्कार और रहस्यों के बारे में किताबें भरी पड़ी हैं। हजारों ऐसे किस्से हैं जिससे इस मंदिर के चमत्कारिक और रहस्यमय होने का पता चलता है।

14. खजुराहो का मंदिर, मध्य प्रदेश

आखिर क्या कारण थे कि उस काल के राजा ने सेक्स को समर्पित मंदिरों की एक पूरी श्रृंखला बनवाई? यह रहस्य आज भी बरकरार है। खजुराहो वैसे तो भारत के मध्यप्रदेश प्रांत के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा-सा कस्बा है लेकिन फिर भी भारत में ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह है खजुराहो। खजुराहो भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है।

चंदेल शासकों ने इन मंदिरों का निर्माण सन् 900 से 1130 ईसवीं के बीच करवाया था। इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान अल बरुनी (1022 ईसवीं) तथा अरब मुसाफिर इब्न बतूता का है। कला पारखी चंदेल राजाओं ने करीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों का निर्माण करवाया था, लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है। ये मंदिर शैव, वैष्णव तथा जैन संप्रदायों से संबंधित हैं।